
जालंधर (R24N): इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के प्लाट को लेकर विजीलेंस टीम ने एक्शन लेते हुए सीनियर सहायक पर कार्रवाई की है। दरअसल, विजीलेंस ने 2 प्लॉटों को लेकर अनियमितता के मामले में सीनियर सहायक संजीव कालिया पर केस दर्ज किया है। विजिलेंस ने कालिया के खिलाफ धारा 420, 409 और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1) ए सहित 13(2) के तहत जालंधर में केस दर्ज किया है। विजीलेंस का आरोप है कि मर चुकी महिला के नाम पर नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी किया व प्लॉट के नॉन कंस्ट्रक्शन के 14,34,350 रुपए जानबूझकर वसूल नहीं किए।वहीं दूसरे प्लाट के मामले में आरोप है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में लोकली डिस्प्लेस्ड पर्सन के कोटे के प्लॉट को सरकार को बगैर सूचित किए पत्नी के नाम पर खरीदने का है। हालांकि विजीलेंस द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कालिया का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है। दरअसल, विजीलेंस के प्रवक्ता ने बताया कि शिकायत संख्या 75/2022 की जांच की गई थी। इसमें दविंदर कौर नामक एक महिला से प्लॉट नंबर 828 की नॉन कंस्ट्रक्शन फीस 14,35,350 रुपए हासिल किए बिना, डीलिंग हैंड मुलाजिम न होने के बावजूद अपने पद का दुरुपयोग किया।महिला के नाम नो ड्यूज सर्टिफिकेट 13.10.16 को जारी किया जबकि महिला का 12 जनवरी 2015 में निधन हो गया था। पहले पटवारी को अप्रैल 2010 में पत्र लिखकर उक्त प्लॉट के खसरा नंबर की रिपोर्ट देने के लिए लेटर लिखा। इसके बाद पटवारी ने खसरा नंबर संबंधित रिपोर्ट सुपरिटेंडेंट सेल्स को भेज दी। आरोप है कि सीनियर सहायक संजीव कालिया ने ऑफिस के सुपरिटेंडेंट को बाईपास किया। बगैर नॉन कंस्ट्रक्शन फीस लिए प्लॉट अलाट कर दिया। लोकली डिस्प्लेस्ड पर्सन के कोटे से नियमों का उल्लंघन करके प्लॉट लेने के भी आरोप हैं। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि सोहन देई पत्नी भगवान दास की मलकियत 9 मरले 147 वर्ग फुट रकबा नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा वर्ष 1976 में बनाई गई श्री गुरु तेग बहादुर नगर कॉलोनी में अधिग्रहित किया गया था।सरकारी नियम के अनुसार सोहन देई के नाम ट्रस्ट ने लोकली डिस्प्लेस्ड पर्सन कोटे से प्लॉट जारी नहीं किया था। संजीव कालिया नगर सुधार ट्रस्ट में कार्यरत होने के कारण ये बात जानता था। उसे ये भी पता था कि ट्रस्ट की 94.5 एकड़ योजना गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में उसके अपने आवासीय घर के स साथ लगा प्लॉट नंबर 276 खाली है। उसने ये प्लॉट लेने के लिए लोकल डिस्प्लेस्ड पर्सन्स कोटे की हकदार सोहन देवी से संपर्क किया।। उसे 6,50,000 रुपए दिए। फिर सत्तावाली निवासी दीपक को मुख्तियार-ए-आम नियुक्त किया। उसके नाम पर पावर ऑफ अटार्नी (नंबर 275 दिनांक 10.10.2011) की गई।इसके बाद उक्त प्लॉट को दीपक के आधार पर 94.5 एकड़ योजना में अपने आवासीय मकान नंबर 277 के साथ लगे प्लॉट नंबर 276 को सोहन देई के नाम अलॉट कराया। इस प्लॉट की उक्त विशेष कोटे के अनुसार रिजर्व कीमत 31,883 रुपए ट्रस्ट के खाते में जमा करवाई गई। इसके बाद संजीव कालिया ने दीपक को 7 लाख रुपए नकद अदा किए। उस प्लॉट की रजिस्ट्री तैयार करवाई गई। फिर 3 दिसंबर को 2012 को अपनी पत्नी उपमा कालिया के नाम पर कलेक्टर रेट के अनुसार 21 लाख 74,000 रुपए चुकाकर प्लॉट ले लिया। आरोप है कि संजीव कालिया ने उक्त प्लॉट को खुद खरीदने की विभाग से मंजूरी नहीं ली।विभागीय जांच से मुझे क्लीन चिट मिली : कालिया
दूसरी ओर संजीव कालिया का कहना है कि विभागीय जांच से मुझे क्लीन चिट मिली हुई है। कालिया ने कहा कि उन पर जो 2 प्लॉटों को लेकर आरोप लगे थे। इसकी विभागीय जांच हुई थी। नॉन कंस्ट्रक्शन चार्जेज के मामले में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया था। कालिया ने कहा कि जो श्री गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में प्लॉट खरीदा था, इसकी सूचना भी सरकार को दे दी थी। विभागीय जांच में दूसरे मामले में कहा गया था कि भविष्य में कोई कमी पाई गई तो प्लॉट अलार्टमेंट संबंधी फैसला लेने का अधिकार सरकार के पास होगा। कालिया ने कहा है कि जो पर्चा दर्ज किया गया है। वह इस मामले में माननीय अदालत में अपना पक्ष रखेंगे।



